छवि, प्रतिष्ठा और चरित्र घटकों से व्यक्तित्व की पहचान: डाॅ हिपेश शेफर्ड

चण्डीगढ़(जेडआईईटी से डाॅ. रामकुमार सिंह)। केन्द्रीय विद्यालय संगठन के शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम के पहले दिन द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान हेतु आहूत ख्यात व्यक्तित्व-विकास एवं सम्प्रेषण कौशल विशेषज्ञ डाॅ. हिपेश शैफर्ड ने कहा कि व्यक्तित्व का मूल चारित्रिक विकास है। इसमें प्रतिभा और कौशल का योग किया जाना चाहिए। डाॅ शैफर्ड ने सुनने की कला हेतु मौन-श्रवण को सफल सम्प्रेषण और सीखने की प्रक्रिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण निरूपित करते हुए कहा अंगेे्रजी में साइलेन्ट और लिसन दोनों की वर्तनी मंे समान अक्षरों का प्रयोग है। शिक्षार्थी यदि आपके तरीके से सीख नहीं रहा तो उसे उस तरीके में सम्प्रेषण कर सिखाया जाये जिसे वह समझता है। कठिनाई से आवश्यकता और इससे कौशल का सृजन होता है। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व-विकास का अहम पहलू है वर्तमान में जीना। भूत और भविष्य के बीच झूलना वर्तमान को खण्डित कर देता है।
डाॅ शैफर्ड ने कहा शिक्षा का चरम लक्ष्य व्यवहार मंे परिवर्तन करना है।
यह बदलाव यद्यपि कठिन है फिर भी इसके चार स्तर स्वीकार किये गये हैं। ज्ञान के स्तर पर बदलाव, व्यवहार परिवर्तन, रिश्तों की समझ, और नैतिक मूल्यों में परिवर्तन। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा व्यवस्था को कोरी परीक्षा-व्यवस्था अब नहीं माना जाना चाहिए। शिक्षा ज्ञान, संवेग और कौशल का विकास है। इसे Head, heart और hand के विकसित संयोग से समझा जा सकता है।

प्रबंधन-कला, स्वस्थ प्रतियोगिता और उत्तरदायित्व विभाजन प्रभावोत्पादक प्रशिक्षण का आधार: श्री एम.पी. महाजन


चण्डीगढ़(जेडआईईटी से डाॅ. रामकुमार सिंह)। केविसं के सुपरिचित व्यक्तित्व चण्डीगढ़ संभाग के उपायुक्त पद से सेवानिवृत्त एवं जेडआईईटी ग्‍वालियर के पूर्व निदेशक श्री एम.पी. महाजन ने सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए चयनित विभिन्न दलों के निदेशक, सम्बद्ध-निदेशक एवं संसाधकों को विषय विशेषज्ञ की हैसियत से प्रथम सत्र को सम्बोधित करते हुए सफल शिविर आयोजित करने के गुर बताये।
श्री महाजन ने कहा कि ज्ञान प्राप्ति भूख की संतुष्टि से अनंत व्यापक विषय है। शिक्षक के ज्ञान को सेवाकालीन प्रशिक्षण के माध्यम से अपडेट करना ही इस प्रकार के शिविरों का लक्ष्य होता है।
उन्होंने कहा कि सभी दल सेवाकालीन प्रशिक्षण के दौरान अपने प्रतिभागियों को अनिवार्य रूप से कक्षाओं में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम से अवगत करायें। पुस्तक ज्ञान का आधार संकेत है पूर्ण नहीं। उन्होंने आसपास की चीजों और स्थानीय सामग्री से ही कक्षा में सीखने-सिखाने की रुचिकर प्रक्रिया की वकालत करते हुए कहा कि प्रत्येक पाठ पृथक संवाद है और उसे पढ़ाने का तरीका अद्वितीय और भिन्न है। प्रत्येक शिक्षक पर भी यही तथ्य लागू होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक को यह समझना होगा कि केवल रटाने की प्रणाली अब नहीं चलेगी। विद्यार्थी पीढ़ी सक्रिय और अपडेट रहने वाले साधनों के सम्पर्क में है। उन्होंने ‘छा जाना’ मुहावरे का अकादमिक उपयोग करते हुए कहा कि शिक्षक वह है जो कक्षा के सभी 40 विद्यार्थियों पर छा जाये। इसके पीछे संकेत यही है कि छत्रछाया का कार्य भी करे और तैयारी करके कक्षा में जाये।
उन्होंनें होने जा रहे सेवाकालीन प्रशिक्षणों हेतु नियत दलों के निदेशको, सम्बद्ध-निदेशकों एवं संसाधकों से सेवाकालीन प्रशिक्षण की प्रभावोत्पादकता और गुणवत्ता बनाये रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों के रिसेप्शन, आवासीय प्रबंध, भोजन-बिजली-पानी, आवश्यक सुविधाओं के साथ ही प्रशिक्षण सामग्री को भी गुणवत्ता के साथ प्रक्रिया में लिया जाये। पाठ्यसामग्री का सफल हस्तातंरण हो और माॅड्यूल आधारित विषयों का ध्यान रखा जाये।
उन्होंने सेवाकालीन प्रशिक्षण की प्रभावोत्पादकता के मूल बिन्दु को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वस्थ प्रतियोगिता समूहों के बीच हो तथा उन्हें सांकेतिक रूप से पुरस्कृत भी किया जा सकता है। समूहों के बीच उत्तरदात्यिव का कुशल विभाजन हो तथा न्यूनतम 4 दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाये ताकि प्रशिक्षण को समग्रता प्रदान की जा सके। साथ ही ज्ञान के निखार के साथ ही शिक्षक-प्रशिक्षणार्थियों की सृजनात्मक क्षमताओं को भी अभिव्यक्ति के अवसर प्राप्त हों। प्रशिक्षण मे केन्द्रीय विद्यालय संगठन के प्रोटोकाॅल, मूल भावना, सर्वधर्मसमभाव आदि बिन्दुओं को प्रत्येक विषय-प्रस्तुति एवं गतिविधियों में स्वाभाविक रूप से ध्यान रखा जाये।
श्री महाजन ने ख्यात विषय-विशेषज्ञों को आहूत करने, संगणक आधारित सामग्री का विकास करने, समय की पाबंदी, प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी, सकारात्मक मानसिक भूख की संतुष्टि आदि पहलुओं पर प्रशिक्षण शिविर की सफलता को आधारित बताया।

युद्ध की विभीषिका पर सृजन का शंखनाद है केन्द्रीय विद्यालय संगठन: उपायुक्त श्री रावत

समाचार


चण्डीगढ़(जेडआईईटी से डाॅ. रामकुमार सिंह)। वर्ष 1964 जहाँ भारत-चीन युद्ध की विभीषिका से विराम को याद दिलाता है तो वहीं इसी वर्ष केन्द्रीय विद्यालय संगठन का शुभारम्भ किया जाना युद्ध की विभीषिका से उपजे उत्तर-युग में सृजन का शंखनाद है।
उक्त उद्गार केन्द्रीय विद्यालय संगठन, चण्डीगढ़ संभाग के उपायुक्त एवं शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान के प्रभारी निदेशक श्री जे एम रावत ने पीजीटी एवं टीजीटी-हिन्दी तथा पीआरटी शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण के लिए चयनित दलों के निदेशक, सम्बद्ध-निदेशक एवं संसाधकों को सम्बोधित करते हुए कहा। तीन दिवसीय इस अभिविन्यास कार्यक्रम मंे लगभग एक दर्जन संभागों आगरा, गुड़गांव,गुवाहाटी, दिल्ली, पटना, भोपाल, रायपुर, लखनऊ, वाराणसी और चण्डीगढ़ के दलों ने हिस्सा लिया।
श्री रावत ने कहा कि हमारी (केविसं) की जड़ों में मानवीयता है। उन्‍होंने काव्यमय अंदाज में अकादमिक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि जीवन के प्रति शाश्वत प्रेम को बनाये रखना शिक्षक का दायित्व है। अगली पीढ़ी को जो प्रदाय करना है उस पर हमारे और आपके दोनों के ही दस्तखत (सांझे प्रयास) की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संकटों में ही पौरुष की पहचान होती है। उन्होंने प्रसिद्ध कवि नीरज के हवाले से कहा जिंदगी ‘वेद’ की तरह है मगर परिस्थितिवश वह ‘जिल्द बनाने में कटी’ यह नहीं होने पाये। दर्प की आंधियां भले ही व्यक्तित्व की जड़ों को हिलाने का प्रयास करे मगर व्यक्ति को एक चुनौती के रूप में परिस्थितियों के सामने खड़ा होना होगा।

उपायुक्त श्री रावत ने कहा कि विद्यार्थी की Needs, interest   औरproblems को समझने की जरूरत शिक्षक की प्राथमिकता है। उन्होंने मैस्लो के सिद्धांत का हवाला देते हुए का कि प्राथमिक से शीर्ष आवश्यकताओं के क्रम को समझकर सीखने की प्रक्रिया को सफल बनाया जा सकता है।
उपायुक्त श्री रावत ने इससे पूर्व मां सरस्वती का पूजन और पुष्पार्पण का कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सभी प्रतिभागियों ने सर्वधर्म समभाव पर आधारित सामूहिक प्रार्थना में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन संस्थान में हिन्दी विषय की संयोजिका श्रीमती सुनीता गुंसाई ने किया।
श्री रावत ने अपने उद्बोधन के साथ ही पीपीटी के माध्यम से दिये गये अपने व्याख्यान में केविसं द्वारा प्रशिक्षण कार्य की उपादेयता और प्रशिक्षण के उद्देश्य आदि के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।

चण्‍डीगढ में आयोजित उन्‍मुखीकरण कार्यक्रम की तिथि में परिवर्तन, अब 13 से 15 मई

 

ग्‍वालियर/नई दिल्‍ली/ चण्‍डीगढ। केन्‍द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा जारी समय-सारणी में स्‍थानांतरण समय-सारणी के कारण आंशिक परिवर्तन किया गया है। शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्‍थान चण्‍डीगढ में अब कोर्स निदेशक, सम्‍बद्ध निदेशक व संसाधकगण का उन्‍मुखीकरण कार्यक्रम 13 से 15 मई आयोजित होगा। इसमें हिस्‍सा लेने के लिए हमारे कोर्स की निदेशक सुश्री राजकुमारी निगम, प्राचार्य केवि-1 ग्‍वालियर, सम्‍बद्ध निदेशक श्री एम के मीणा, प्राचार्य केन्‍द्रीय विद्यालय छाबरा, संसाधकत्रय –श्री धर्मेन्‍द्र भारद्वाज, डॉ अ‍श्विनी शिवहरे एवं डॉ रामकुमार सिंह चण्‍डीगढ रवाना हो गये हैं। तिथि परिवर्तन के अलावा अन्‍य जानकारी पुरानी पोस्‍ट में यहां क्लिक करें-

अरविंद कुमार सिंह जी का अचानक मुरैना आगमन और निवास पर बिताये कुछ पल…….ग्वालियर में स्नातक-शिक्षक हिन्दी के आगामी सेवाकालीन प्रशिक्षण शिविर में अपने पाठ पर चर्चा के लिए डाॅ. रामकुमार सिंह ने किया पधारने का आग्रह

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मुरैना/23 अप्रेल 2016 / राज्यसभा चैनल के संपादक, संसदीय और कृषि मामलों के प्रभारी, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा  कृषि पत्रकारिता के देश के शिखर सम्मान चाौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय कृषि पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित और सबसे बढ़कर हमारी पाठ्यपुस्तक कक्षा-8  वीं की ‘बसंत’ में ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनियाँ’ पाठ के लेखक श्री अरविंद कुमार सिंह राज्यसभा चैनल की अपनी टीम के साथ देश में जलसंकट की पड़ताल करने निकले हैं। चम्बल, बुंदलेखण्ड से होते हुए महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती वे इलाके जहाँ जलसंकट के कारण कृषि और किसानों की चिंता का साझा करना सारे देश की जरूरत बन गई है, हम सबकी ओर से अरविंद जी एक सोद्देश्य यायावर की तरह लम्बी यात्रा पर हैं। ग्वालियर-चम्बल से वे गुजरें और मुरैना में अपने आत्मीयजन को खबर न दें यह संभव ही नहीं, बस! फिर क्या था आज शाम लगभग 8ः30 बजे वे मुरैना में डाॅ. रामकुमार सिंह के निवास पर पधारे। आग्रह करने पर भोजन भी किया और बच्चों को शुभाशीष दिया। कुमारी वैष्णव और शैव ने संगीतमय रामकथा सुनाई तो अपनी प्रिय कलम उन्होंने पुरस्कार में दे दी। डाॅ. रामकुमार सिंह ने उनसे आग्रह किया यदि महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों की यात्रा से लौटते समय अथवा जहां भी वे 18 से 29 मई 2016 में हों, कृपया ग्वालियर पधारें और स्नातकशिक्षक- हिन्दी के सेवाकालीन प्रशिक्षण में पधारें। डाॅ. सिंह ने पाठ्यक्रम निदेशक एवं प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-1 सुश्री राजकुमारी निगम एवं समस्त दल की ओर से उन्हें इस हेतु अतिथि विद्वान के रूप में आमंत्रित किया।

 

मुरैना में 23 अप्रेल की शाम श्री अरविंद कुमार जी साथ ऐतिहासिक क्षण

इस दौरान वे पूरे समय के देश के जलसंकट, जल सहेजने से हम लोगों द्वारा किये गये परहेज के कारण उत्पन्न भयावह स्थिति के बारे में बताते रहे। किस तरह जल को परिवहन से दूर-दूर तक पहुंचाने की स्थितियां उत्पन्न हो गई हैं। पर्यावरण के प्रति हमारी उदासीनता और जल को महत्वहीन वस्तु की तरह बहाने के दुष्परिणामों के प्रति उनके स्वयं के देश भर के भ्रमण और जानकारियों ने हमारे रोंगटे खड़े कर दिये। इस दौरान उनके साथियों के अतिरिक्त निवास पर नईदुनिया-जागरण समूह के वन्यजीवन विशेषज्ञ पत्रकार शिवप्रताप सिंह भी उपस्थित रहे।
बातों ही बातों में उनसे चर्चा करने पर जानकारी मिली कि द्विवेदी युग के मूर्धन्य व्यक्तित्व आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी पर अभूतपूर्व, दुर्लभ और ऐतिहासिक अभिनंदन ग्रंथ को सामने लाने का महत् कार्य उनके द्वारा किस तरह सम्पन्न हो गया। उनका देश भर में भ्रमण पर रहना, सूक्ष्म-पर्यवेक्षण और जनमानस को कुछ न कुछ प्रदाय करने की उत्कट भावना के चलते ही यह संभव हुआ। गणेशशंकर विद्यार्थी पुरस्कार से लेकर राष्ट्रपति पुरस्कार और कृषि पत्रकारिता के देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे जाने पर भी अरविंद कुमार जी में वही सादगी बरकार है जो दशकों में कभी नहीं बदली। बिल्कुल भारत रत्न उस्ताद बिसिमिल्लाह खान वाली सादगी। वे कभी पूर्वोत्तर के बोडो इलाके में होते हैं तो कभी तेलंगाना, कभी चम्बल तो कभी मराठवाड़ा। उनकी ग्रामीण चैपालों की श्रृंखला ने राज्यसभा ही नहीं महामहिम को भी अपना प्रभावित दर्शक बना लिया।
लगभग 10 बजे उनका काफिला ग्वालियर की ओर रवाना हो गया। इदम् ज्ञानम् सभाकक्ष उनकी उपस्थिति से धन्य हुआ। जयंत जी द्वारा सूचित करने पर उनका हृदय से आभार।

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2015 में अरविंद कुमार जी को पटना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 87वें समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश के कृषि पत्रकारिता के शिखर सम्मान, चौ.चरण सिंह राष्ट्रीय कृषि पत्रकारिता से  सम्मानित किया। यह पुरस्कार इलेक्ट्रानिक मीडिया श्रेणी में मिला । इस समारोह में बिहार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी, केंद्रीय कृषि मत्री श्री राधा मोहन सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार और कृषि क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां और कृषि वैज्ञानिक मौजूद थे।

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(भारतीय डाक विभाग की श्री अरविंद कुमार सिंह जी से विशेष आत्मीयता है। क्यों न हो, तकनीकी हमले के दौर में वे ही तो हैं जो चिट्ठियों की हामी भरते है। उनकी पुस्तक भारतीय डाक का अनुवाद भारतीय और विदेशी अनेक भाषाओं में हो चुका है। डाक टिकिट यहां दर्शनीय है।)

हिंदी जगत को एक अनूठी भेंट दी श्री अरविंद कुमार सिंह जी ने

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ – 82 साल बाद फिर से प्रकाशन

हिंदी की इसी ऐतिहासिक धरोहर के लोकार्पण समारोह का आयोजन 20 सितंबर 2015 को

50 प्रवासी भवन, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, आईटीओ पर हुआ।

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राजधानी के प्रवासी भवन में ऐतिहासिक द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ के लोकार्पण के मौके पर साहित्यिक हस्तियों और पत्रकारों के साथ राजधानी में साहित्यप्रेमियों का समागम हुआ। आधुनिक हिंदी भाषा और साहित्य के निर्माता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सम्मान में 1933 में प्रकाशित हिंदी का पहला अभिनंदन ग्रंथ दुर्लभ दशा को प्राप्त था। 83 सालों के बाद इस ग्रंथ को हूबहू पुनर्प्रकाशित करने का काम नेशनल बुक ट्स्ट, इंडिया ने किया । आज के संदर्भ में इस ग्रंथ की उपयोगिता पर मैनेजर पांडेय का एक सारगर्भित लेख भी है।

ग्रंथ के लोकार्पण और विमर्श के मौके पर साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और विख्यात लेखक डॉ.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युग निर्माता और युग-प्रेरक थे। उन्होंने प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त जैसे लेखकों की रचनाओं में संशोधन किए। उन्होंने विभिन्न बोली-भाषा में विभाजित हो चुकी हिंदी को एक मानक रूप में ढालने का भी काम किया। वे केवल कहानी-कविता ही नहीं, बल्कि बाल साहित्य, विज्ञान और किसानों के लिए भी लिखते थे। हिंदी में प्रगतिशील चेतना की धारा का प्रारंभ द्विवेदी जी से ही हुआ।’’
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. मैनेजर पांडे ने इस ग्रंथ की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि, “यह भारतीय साहित्य का विश्वकोश है।” उन्होंने आचार्य जी की अर्थशास्त्र में रूचि व‘‘संपत्ति शास्त्र’’ के लेखन, उनकी महिला विमर्श और किसानों की समस्या पर लेखन की विस्तृत चर्चा की। इस ग्रंथ में उपयोग की गयीं दुर्लभ चित्रों को अपनी चर्चा का विषय बनाते हुए गांधीवादी चिंतक अनुपम मिश्र ने इन चित्रों में निहित सामाजिक पक्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने नंदलाल बोस की कृति ‘‘रूधिर’’ और अप्पा साहब की कृति ‘‘मोलभाव’’ पर विशेष ध्यान दिलाते हुए उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया और कहा कि सकारात्मक कार्य करने वाले जो भी केन्द्र हैं उनका विकेन्द्रीकरण जरूरी है।

‘नीदरलैड से पधारीं प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने कहा कि हिंदी सही मायने में उन घरों में ताकतवर है जहाँ पर भारतीय संस्कृति बसती है। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की निदेशक व असमिया में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका डॉ. रीटा चौधरी ने कहा कि, यह अवसर न्यास के लिए बेहद गौरवपूर्ण व महत्वपूर्ण है कि हम इस अनूठे ग्रंथ के पुनर्प्रकाशन के कार्य से जुड़ पाए। ऐसी पुस्तकों का अनुवाद अन्य भारतीय भाषाओं में भी होना चाहिए। डॉ. चौधरी ने इस ग्रंथ की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह ग्रंथ हिंदी का ही नहीं बल्कि भारतीयता का ग्रंथ है और उस काल का भारत-दर्शन है।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रख्यात पत्रकार रामबहादुर राय ने इन दिनों मुद्रित होने वाले नामी गिरामी लोगों के अभिनंदन ग्रंथों की चर्चा करते हुए कहा कि, “ऐसे ग्रंथों को लोग घर में रखने से परहेज करते हैं, लेकिन आचार्य द्विवेदी की स्मृति में प्रकाशित यह ग्रंथ हिंदी साहित्य,समाज, भाषा व ज्ञान का विमर्ष है न कि आचार्य द्विवेदी का प्रशंसा-ग्रंथ।” इस ग्रंथ की प्रासंगिकता व इसकी साहित्यिक महत्व को उल्लेखित करते हुए श्री राय ने यहां तक कहा कि, “यह ग्रंथ अपने आप में एक विश्व हिन्दी सम्मेलन है।”
कार्यक्रम के प्रारंभ में पत्रकार गौरव अवस्थी ने महावीर प्रसाद द्विवेदी से जुड़ी स्मृतियों को पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस प्रेजेंटेशन यह बात उभर कर सामने आयी कि किस तरह से रायबरेली का आम आदमी, मजूदर व किसान भी आचार्य द्विवेदी जी के प्रति स्नेह-भाव रखते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह ने इस ग्रंथ के प्रकाशन के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट और रायबरेली की जनता को धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि द्विवेदी जी के संपादकीय और रेल जीवन पर भी काम करने की जरूरत है।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति, रायबरेली और राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और लेखक पंकज चतुर्वेदी ने किया।

सन् 1933 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा आचार्य द्विवेदी के सम्मान में प्रकाशित इस ग्रंथ में महात्मा गांधी के पत्र के साथ भारत रत्न भगवान दास, ग्रियर्सन, प्रेमंचद, सुमित्रानंदन पंत, काशीप्रसाद जायसवाल,सुभद्रा कुमारी चौहान से लेकर उस दौर की तमाम दिग्गज हस्तियों की रचनाएं और लेख है। वैसे तो इस ग्रंथ का नाम अभिनंदन ग्रंथ है और आचार्यजी के सम्मान में प्रकाशित हुआ लेकिन आज कल जैसी परिकल्पना से परे इसमें आचार्य जी का व्यक्तित्व-कृतित्व ही नहीं साहित्य की तमाम विधाओं पर गहन मंथन है।

इस समारोह में विख्यात लेखक रंजन जैदी, अर्चना राजहंस, योजना के संपादक ऋतेश, राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन के महासचिव शिवेंद्र द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार अरुण खरे, जय प्रकाश पांडेय, राकेश पांडेय, संपादक प्रदीप जैन, भाषा सहोदरी के संयोजक जयकांत मिश्रा, विख्यात कवि जय सिंह आर्य,देवेंद्र सिंह राजपूत,शाह आलम, विनय द्विवेदी, गणेश शंकर श्रीवास्तव, बरखा वर्षा, तरुण दवे समेत तमाम प्रमुख लोग मौजूद थे।

 

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अरविंद कुमार सिंह का पूर्ण सम्पर्क/पता यहाँ खासतौर पर ‘सर्जना’ के माध्यम से प्रस्तुत है:

अरविंद कुमार सिंह जी

वरिष्ठ संपादक,राज्य सभा टीवी, भारतीय संसद

अध्यक्ष, रायटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन, दिल्ली

12 ए, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड, संसद भवन के पास नयी दिल्ली 110001

फोन-9810082873, 9811180970

ईमेल-arvindksingh.rstv@gmail.com, arvind.singh@rstv.nic.in

 

 

शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान चण्डीगढ़ में तीन दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम दिनांक 1 मई 2016 से

समाचार । चण्डीगढ़/ग्वालियर।  शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान चण्डीगढ़  में हिन्दी के सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्य हेतु पाठ्यक्रम निदेशक, सम्बद्ध-निदेशक एवं संसाधकों का तीन दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम दिनांक 1 मई 2016 से 3 मई 2016 तक आयोजित किया जायेगा। शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान चण्डीगढत्र में उक्त उन्मुखीकरण कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती सुनीता गुसाईं, स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी ने बताया कि संस्थान के निदेशक श्री जगदीश मोहन रावत के कुशल दिशा-निर्देशन में उक्त उन्मुखीकरण सफलतापूर्वक सम्पादित होगा। उक्त उन्मुखीकरण कार्यक्रम में सम्मिलित होने जा रहे देश के विभिन्न हिस्सों के पाठ्यक्रम दलों के मध्य अपेक्षित पाठ्यसामग्री विकसित करने हेतु कार्य-विभाजन कर दिया गया है।

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श्री जगदीश मोहन रावत, निदेशक

शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान चण्डीगढ़

Tele: 0172- 2621364 & 2621302

zietchdacad@gmail.com

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श्रीमती सुनीता गुसाईं, स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी

शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान चण्डीगढ़

विस्तृत परिपत्र डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें। download ZIET circular

उक्त उन्मुखीकरण कार्यक्रम में भाग लेने हेतु केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-1 की प्राचार्य एवं पाठ्यक्रम निदेशक सुश्री राजकुमारी निगम, पाठ्यक्रम के सम्बद्ध निदेशक श्री एम.के.मीना, प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय छाबरा एवं संसाधकत्रय श्री धर्मेन्द्र भारद्वाज, डाॅ. अश्विनी शिवहरे, डाॅ. रामकुमार सिंह शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चण्डीगढ़ जायेंगे।