छवि, प्रतिष्ठा और चरित्र घटकों से व्यक्तित्व की पहचान: डाॅ हिपेश शेफर्ड

चण्डीगढ़(जेडआईईटी से डाॅ. रामकुमार सिंह)। केन्द्रीय विद्यालय संगठन के शिक्षा एवं प्रशिक्षण आंचलिक संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम के पहले दिन द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान हेतु आहूत ख्यात व्यक्तित्व-विकास एवं सम्प्रेषण कौशल विशेषज्ञ डाॅ. हिपेश शैफर्ड ने कहा कि व्यक्तित्व का मूल चारित्रिक विकास है। इसमें प्रतिभा और कौशल का योग किया जाना चाहिए। डाॅ शैफर्ड ने सुनने की कला हेतु मौन-श्रवण को सफल सम्प्रेषण और सीखने की प्रक्रिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण निरूपित करते हुए कहा अंगेे्रजी में साइलेन्ट और लिसन दोनों की वर्तनी मंे समान अक्षरों का प्रयोग है। शिक्षार्थी यदि आपके तरीके से सीख नहीं रहा तो उसे उस तरीके में सम्प्रेषण कर सिखाया जाये जिसे वह समझता है। कठिनाई से आवश्यकता और इससे कौशल का सृजन होता है। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व-विकास का अहम पहलू है वर्तमान में जीना। भूत और भविष्य के बीच झूलना वर्तमान को खण्डित कर देता है।
डाॅ शैफर्ड ने कहा शिक्षा का चरम लक्ष्य व्यवहार मंे परिवर्तन करना है।
यह बदलाव यद्यपि कठिन है फिर भी इसके चार स्तर स्वीकार किये गये हैं। ज्ञान के स्तर पर बदलाव, व्यवहार परिवर्तन, रिश्तों की समझ, और नैतिक मूल्यों में परिवर्तन। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा व्यवस्था को कोरी परीक्षा-व्यवस्था अब नहीं माना जाना चाहिए। शिक्षा ज्ञान, संवेग और कौशल का विकास है। इसे Head, heart और hand के विकसित संयोग से समझा जा सकता है।

One response to “छवि, प्रतिष्ठा और चरित्र घटकों से व्यक्तित्व की पहचान: डाॅ हिपेश शेफर्ड

Leave a comment